1 मेष लग्न- जिनका जन्म मेष लग्न में हो उनके रोग का
स्वामी बुध स्वयं है । बुध अस्त होने या पाप
पीडित होने पर एलर्जी, त्वचा रोग, फोडे-
फुंसी, मतिभ्रम जैसे रोग व गले की
बिमारी दशा अंर्तदशा में देते है ।
2 वृषभ लग्न- जिनका जन्म वृषभ लग्न में हो उनके छटे स्थान
पर बुध के मित्र शुक्र की राशि तुला होती
है । मूत्र रोग, पोस्टेट, प्रमेह आदि रोग होते है ।
3 मिथुन लग्न- जिनका जन्म मिथुन लग्न में हो उनके मंगल
की राशि वृश्चिक होने से रक्तविकार, उच्चरक्तचाप,
स्नायु तंत्र में दोष आदि प्रमुख लक्षण मंगल की दशा
अंर्तदशा में देते है ।
4 कर्क लग्न- जिनका जन्म कर्क लग्न में हो वह जातक प्रायः
स्थूल शरीर होते है । छठे स्थान पर धनु राशि होने
पर मधुमेह, जिगर की बिमारी, पिलिया रोग
होते है ।
5 सिंहँ लग्न- जिनका जन्म सिंह लग्न में हो उन्हें शनि वातरोग,
गठिया, स्नायु रोग, विमंदातात था दीर्घकाल तक चलने वाले
रोग होते है । क्योंकि बुध के मित्र शनि की मकर राशि
षष्टम भाव में स्थित है ।
6 कन्या लग्न- जिनका जन्म कन्या लग्न में हो उन्हें पांव में चोट,
दर्द, राहु शनि की युति हो तो
तकलीफदायी जीभ रोग होते
है । भ्रम रोग की भी संभावना
रहती है ।
7 तुला लग्न- जिनका जन्म तुलालग्न में हो उन्हें
जलीय बिमारी, मूत्र रोग, मधुमेह, थायराइड,
कफ जनित रोग, हृदयरोग, राहु शनि का कुयोग होने पर कैंसर
जैसी घातक तकलीफ हो
सकती है ।
8 वृश्चिक लग्न- जिनका जन्म वृश्चिक लग्न में हो उन्हें
शास्त्राघात, चोट, उपर से गिरना, मूर्छाा, सिर रोग, आदि मंगल
की दशा अंर्तदशा या रोग स्थान स्थित ग्रह
की पाक दशा में होते है ।
9 धनु लग्न- जिनका जन्म धनु लग्न में हो उन्हें कंधो में दर्द,
गले में खराबी, पत्नी को कष्ट, गुप्त रोग,
यौन रोग आदि प्रकट होते है ।
10 मकर लग्न- जिनका जन्म मकर लग्न में हो उन्हें चिंता, त्वचा
रोग, मानसिक नपुंसकता, पीडित होने की
अवस्था में होते है ।
11 कुंभ लग्न- जिनका जन्म कुंभ लग्न में हो उनके चन्द्रमा का
छटे स्थान पर स्वामित्व होने से कफ रोग, हृदय रोग, पागलपन
आदि की संभावना बलवती
होती है ।
12 मीन लग्न- जिनका जन्म मीन लग्न में
हो उन्हें सूर्य नेत्र रोग, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, ज्वररोग,
हड्डियों से संबंधित बीमारी आदि
होती है । स्थूलता भी देता है ।