1).अश्विनी का- पहला चरण(1)अशुभ है.
2).भरणी का – तिसरा चरण.(3).अशुभ है.
3).कृतीका का – तीसरा चरण.(3).अशुभ है.
4).रोहीणी का – पहला,दूसरा और तीसरा चरण.(1,2,3).अशुभ है.
5).आर्द्रा का – चौथा चरण.(4).अशुभ है.
6).पुष्य नक्षत्र का – दूसरा और तीसरा चरण.(2,3).अशुभ है.
7).आश्लेषा के-चारों चरण(1,2,3,4).अशुभ है
8)-मघा का- पहला और तीसरा चरण.(1,3).अशुभ है
9).पूर्वाफाल्गुनी का-चौथा चरण(4).अशुभ है
10).उत्तराफाल्गुनी का- पहला और चौथा चरण.(1,4).अशुभ है
11).हस्त का- तीसरा चरण.(3).अशुभ है.
12).चित्रा के-चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ है
13).विशाखा के -चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ है.
14).ज्येष्ठा के -चारों चरण(1,2,3,4)अशुभ है
15).मूल के -चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ है.
16).पूर्वषाढा का- तीसरा चरण.(3).अशुभ है.
17).पूर्वभाद्रपदा का-चौथा चरण(4)अशुभ है
18).रेवती का – चौथा चरण.(4).अशुभ है.
*यह शांती विधान हर 3 वर्ष बाद जरुर करा लेना चाहीए *
क्योंकि ग्रह नक्षत्र योगका दोष हमे पिछले जन्मोके श्रापके कारण लगता है और श्राप से कभी भी मुक्ती नही मिलती अपितु श्रापके दुष्प्रभाव को बहोत हद तक तीन सालके लिये कम किया जाता है !! जय श्री महाकाल!!