चलिए मकर सक्रांति आने से पहले सूर्य की जिंदगी कुंडली के 12 भाव कहानी के माध्यम से समझते है,,कुछ imaginations होंगे कुछ शास्त्रीय सच,,पर याद आसानी से रहेगा सब हमेशा,,-:
पहला घर-:कालपुरुष की मेष राशि में 15 अप्रैल से जिसमे सूर्य राजा अपने सिंहासन पर बैठे कुंडली के सभी घर पे बैठे नज़र रख रहे हैं कुंडली के सभी घर सूर्य की छत्रछाया में है।एक महीने बाद 15 मई को चले कुटुम्ब घर मे अपने,
दूसरा घर-:शुक्र का शुक्र हमारी भार्या,कुटुम्ब जंहा राहु होता है उच्च का
सूर्य ने पत्नी के घर आकर कुटुम्ब को बढ़ाने का सोचा पर राहु जंहा उच्च के थे, सूर्य की पत्नी संध्या अपनी छाया को सूर्यदेव पति के पास छोड़ कर तपस्या को चली गई सूर्य देव छल(राहु) वश छाया को पत्नी सोच बैठे,उस छल से अनजान चल दिये 15 जून को बच्चे बुध के घर,,
तिसरा घर बुध का-:वँहा भी (मिथुन)राहु उच्च का,,सूर्य देव ने संतान प्राप्ति की पर मन मे शंका हुई कि कुछ छल हुआ है।इसी शंका को मन मे रख कर 15 जुलाई को पहुंचे चौथे घर अपने व शनि देव की माँ के घर
चौथा घर-:मे जब पहुंचे सूर्य देव जंहा बैठ कर ठीक सामने शनि के घर मकर पे दृष्टि पड़ी तो देखा शनि उनका पुत्र तो काला है।ये उनका पुत्र हो ही नही सकता क्रोध वश शनि की माँ का अपमान करने लगे और क्रोध में पैर पटकते 15 अगस्त को घर छोड़ कर चले गए 5th हाउस में
पांचवा घर-:सूर्यदेव का खुद का घर जंहा उन्हें पूरा घमण्ड ओर क्रोध होता है घमण्ड वश ठीक अपने सातवें कुम्भ राशि शनि की दिखी उस घर को अपनी सीधी दृष्टि से कुम्भ घर को जला दिया।
शनिदेव जो मकर मे बैठे सूर्य द्वारा क्रोध वश अपनी माँ का अपमान ओर घमण्ड से कुम्भ घर को जला देना देख रहे थे घमण्ड ओर क्रोध के विरोधी शनिदेव ने सबक सिखाने के लिए अपनी वक्र दृष्टि पंचम में बैठे घमंडी पिता सूर्य देव पे डाली जिसका दण्ड सूर्य देव को इतना बुरा भुगतना पड़ा की कुपित हो गए और 15 सितंबर
को पहुंचे छठे घर
छठा घर-:पहुंचे सूर्य दण्ड के कारण के रोग ग्रस्त हो कर कुपित हो पूरा एक महीना वंही तड़पते रहे समय अवधि पूर्ण होने पर वँहा से चलते हुए ठीक 15 अक्टूबर को पहुंचे 7th फिर दोबारा शुक्र भार्या (तुला)के घर मे
सातवाँ घर(तुला)जंहा सूर्य नीच के,,समाज ने अपमान किया कैसा राजा जिसने घमण्ड में अपनी देवी स्वरूप पत्नी को बेज्जत किया समाज ने इतना बेज्जत किया कि सूर्य देव को खुद को सातवे घर मे हमेशा नीच होने का एहसास होने लगा अपने नीचत्व को ले कर दुखी सूर्य 15 नवम्बर को अष्टम घर मे चले गए
अष्टम घर जंहा मृत्यु तुल्य कष्ट सहन किये अपने बुरे कर्मो की वजह से पर अष्टम घर उनके दूसरे बेटे “यम”का था बेटे ने सृष्टि के संचालन को देखते हुए पिता को मृत्यु नही दी माफ कर दिया।
मृत्यु तुल्य कष्ट भोग एक आत्मा स्वरूप बन कर सूर्य अष्टम से निकल 15 दिसम्बर को पहुंचे सूर्य 9th हाउस
नोवाँ घर-:जंहा उन्हें गुरु मिले धर्म का ज्ञान हुआ अपनी गलतियों का पश्चताप हुआ आत्मा से शुद्ध आत्मा बन ग्लानिभाव से नोवाँ घर छोड़ अगले महीने 14 जनवरी को पहुंचे मकर राशि में ,,
मकर राशि
दसवां घर-:अपने बेटे के पास जंहा शनिदेव बैठे थे क्रोध में पर बाप की आंखों में पश्चताप देख शनि को दया आयी पिता को माफ किया सब भूल कर घर आये पिता को खिलाने के लिए कुछ नही था क्योंकि घर(कुम्भ) पिता ने जला दिया था फिर भी कुछ जले हुए तिल रखे थे जो शनि ने पिता को भोजन स्वरूप भेंट कर दिये,,
पिता सूर्य ने अपने बेटे का विशाल ह्रदय देख भावुक भाव मे वचन दिया जो भी इंसान आज के दिन तिल का दान करेगा या अग्नि में भेंट करेगा उसके समस्त दोष जादू-टोना बीमारी का अंत होगा ।।आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण दिन मकर सक्रांति के रूप में हमेशा मनाया जाएगा।
आत्मविभोर होकर बेटे से विदा लेकर सूर्य 15 फरवरी को सूर्य चल दिये कुम्भ
ग्यारहवी राशि-:मे जिसे उन्होंने खुद जलाया था कभी गरूर में,,
खुद को शर्मिंदगी में अहसहाय तभी महसूस करते हैं कुम्भ में तभी शत्रु तो मिलते है 11वे भाव मे सूर्य के होने पर पर अपने बेटे का घर बचाने को शत्रुओ को खत्म भी करते है सूर्यदेव ही।
इसके बाद कुम्भ से चल कर 15 मार्च को पहुंचे 12वे घर मीन राशि मे जंहा सब कुछ भूल कर मोक्ष साधना में लीन हो गए कि जब भी अब मेष में जाऊ तो स्थिर रह प्रजा का ख्याल रखूँ सभी 12 घरों का चाहे अपना चाहे पराया सभी घरों का एक समान ख्याल रखु,,
तभी कहा जाता है सूर्य पॉजिटिव हो या नेगिटिव उसकी आराधना जरूरी है क्योंकि 12 घरों में विचरण करने के बाद अपने बुरे कर्मो का पश्चताप करने के बाद एक शुद्ध आत्मा बने सूर्य एक अच्छे राजा की तरह सभी घरों का सोचते है।।
कहानी खुद बनाई है पर पता नही कैसी लगे पर imagination थी आगे रख दी🙏🙏