क्या है मांगलिक दोष, किसी की जन्म कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में अगर मंगल मौजूद है तो कुंडली में मंगल दोष माना जाता है. और उस कन्या या लड़के को मांगलिक कहा जाता है. जिसे कुज दोष भी कहा जाता है. मंगल दोष जिसकी कुंडली में होता है उस इंसान का वैवाहिक जीवन किसी ना किसी समस्याओं से गुज़रता रहता है.कुंडली में मंगल दोष होने से लोग भयभीत हो जाते हैं. इसका कारण है इससे जुड़े कुछ मिथक. जो मनुष्य को डराने का काम करते हैं. आइए जानते हैं
मांगलिक दोष के मिथक
सबसे पहला कि यदि मांगलिक और अमांगलिक जातक जातिका का विवाह कर दिया जाए तो उनका विवाह अवश्य टूट जाता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हैं. हां…रिश्तें में परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ सकता है लेकिन ऐसा नहीं है कि शादी टूट ही जाए.
दूसरा मिथक है कि मांगलिक जातिका का पहले वट वृक्ष से विवाह कराना चाहिए जो कि सही नहीं है.
तीसरा मिथक ये भी है कि मंगल के साथ गुरु या शनि की युति होती है तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है जबकि ऐसा नहीं है. कि मंगल दोष को कभी खत्म किया ही नहीं जा सकता. ज्योतिषीय तरीकों से उसके प्रभाव को भले ही कम किया जा सकता है.
एक और मिथक है जो पूरी तरह से असत्य है वो ये कि 27 वर्ष की आयु के बाद मंगल दोष खुद ही समाप्त हो जाता है. जबकि ऐसा हो ही नहीं सकता.
ये होते हैं मंगल दोष के प्रभाव
अगर जातक के लग्न भाव में सूर्य है तो उसका स्वभाव अत्यधिक तेज, गुस्सैल, और अहंकारी हो जाता है।
चतुर्थ भाव में मंगल होने से सुखों में कमी आती है और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. सप्तम भाव में अगर मंगल विराजमान हो तो वैवाहिक सम्बन्धों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
मंगल का अष्टम भाव में होना विवाह के सुख में कमी, ससुराल के सुख में कमी लाता है. साथ ही ससुराल से रिश्ते तक बिगड़ जाते हैं।
वहीं द्वादश भाव में मंगल बैठा हो तो वैवाहिक जीवन में कठिनाई, शारीरिक क्षमताओं में कमी, रोग, कलह जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है.
ये कर सकते हैं उपाय
मंगल दोष को समाप्त नहीं किया जा सकता. लेकिन कुछ उपायों से उसके प्रभाव कम किए जा सकते हैं. जैसे –
रोज़ाना श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें. अगर रोज़ाना संभव ना हो तो हर मंगलवार ज़रुर करें.
भगवान शिव और शक्ति की पूरी श्रद्धा से भक्ति करें.
अगर जातक के लग्न भाव में सूर्य है तो उसका स्वभाव अत्यधिक तेज, गुस्सैल, और अहंकारी हो जाता है।
●चतुर्थ भाव में मंगल होने से सुखों में कमी आती है और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
●सप्तम भाव में अगर मंगल विराजमान हो तो वैवाहिक सम्बन्धों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
●अष्टम भाव में होना विवाह के सुख में कमी, ससुराल के सुख में कमी लाता है. साथ ही ससुराल से रिश्ते तक बिगड़ जाते हैं।
●द्वादश भाव में मंगल बैठा हो तो वैवाहिक जीवन में कठिनाई, शारीरिक क्षमताओं में कमी, रोग, कलह जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है.