👉 सबसे पहले लग्न/लग्नेश एंव लग्न के कारक की स्थिति देखनी चाहिए कुंडली इन तीनों की स्थिति कैसी है।
👉 दूसरे नंबर पर चन्द्रमा को देखना चाहिए चंद्रमा किस स्थिति में है। इससे जातक के स्वभाव की जानकारी मिलती है।
👉 तीसरे नंबर पर राशि और उनकी स्थिति देखनी चाहिए।कौन सी राशि किस भाव में पडी़ है।
👉 चौथे नंबर पर जन्मकालीन दशा देखनी चाहिए। जातक कौन सी दशा लेकर पैदा हुआ है। जातक का जब जन्म हुआ तब कौन सा भाव जाग्रत था।
👉 पांचवें नंबर पर केन्द्र व त्रिकोण के स्वामी की स्थिति देखनी चाहिए। कुंडली में केंद्र त्रिकोण स्वामी की क्या स्थिति है। कहां स्थित है, कितना बल है,किस ग्रह से दृष्ट है।,उनकी दशा कब आयेगी आदि।
👉6वें नंबर पर बलवान व बलहीन भाव एंव ग्रह को देखना चाहिए। किस ग्रह के पास कितना बल है, कौन सा भाव कितना बली है। उनकी दशा कब आयेगी।
👉7वें नंबर पर कुंडली में सृजित राजयोगों का आंकलन करना चाहिए। कौन सा ग्रह राजयोग बना रहा है। जातक के जीवन में उसकी दशा कब आयेगी।
👉8वें नंबर पर नवांश कुंडली में ग्रहों की क्या स्थिति है। ग्रह किस नवांश में स्थित है।मित्र नवांश में, स्व नवांश में, उच्च नवांश में, शत्रु नवांश में, नीच नवांश में,
किस नवांश में है।
👉9वें नंबर पर ये देखना चाहिए की अन्य वर्गो में ग्रहों की क्या स्थिति है। कितने वर्गों में 1/5/9 में है और कितने वर्गो में 6/8/12 में है।
👉10वें नंबर पर ग्रहों के आपसी स्थिति को देखना चाहिए। तात्कालिक मित्रता व शत्रुता देखना चाहिए
👉11वें नंबर पर अस्त व वक्री ग्रहों का आंकलन करना चाहिए। अस्त व वक्री ग्रहों का जातक के जीवन पर कितना प्रभाव पड़ेगा,अस्त व वक्री ग्रह की दशा कब आयेगी, कितने समय की दशा होगी।
👉12वें नंबर पर ये देखना चाहिए की वर्तमान में जातक का कौन सा भाव सक्रिय है, किन ग्रहों की दशान्तर्दशा चल रही है।
💐 सबसे खास बात ये देखना चाहिए की जातक का सवाल किस संदर्भ में आ रहा है, जातक किस भाव से संबंधित सवाल पूछ रहा है। इसको समझना बहुत जरूरी है।
👉 ऐसी बातों का ख्याल रखने से आप एक कुंडली को अच्छी तरह से विश्लेषित करके जातक को संतुष्ट कर सकते है।